(रांची वार सेमेट्री में १९४२ और उसके बाद के युद्ध में शहीदों को दफनाया गया है. यहाँ की शांति बहुत चुभती सी लगी मुझे. इसी चुभन को सलाम करती अनाम शहीदों के लिए कविता)
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रांची वार सेमेट्री |
पर्यटन स्थल
नहीं है यह
न ही प्रेमियों के लिए
सुरक्षित स्थान
नीरव शांति है
यहाँ
काले हरे परिसर में
दफन हैं तमाम अनाम शहीद
जब डूब रहा था
देश बढ रहा था
एक नए उपनिवेशवाद की ओरद्वितीय विश्वयुद्ध में
कहाँ दर्ज हो सका है उनका नाम
कहीं भी
समाधि के सन्नाटे से
आती हैं कुछ आवाजें
क्योंकि
हजारों हजार शहीद हुए
युद्ध
युद्ध
जो देश के विरुद्ध भी था और
पक्ष में भी
पक्ष में भी
शहीद
जो अशांति में थे
आज लेटे हैं असीम शांति की गोद में
समाधिस्थ
अकेले, निर्लिप्त
जो अशांति में थे
आज लेटे हैं असीम शांति की गोद में
समाधिस्थ
अकेले, निर्लिप्त
रांची के वार सिमिट्री में
कुछ ७०५ शहीदों के नाम दर्ज हैं सेमेट्री के रजिस्टर में
और जो नहीं हैं कहाँ दर्ज हो सका है उनका नाम
कहीं भी
समाधि के सन्नाटे से
आती हैं कुछ आवाजें
जो चाहती हैं
शांति अपने घर में
शांति अपने घर में
क्योंकि
युद्ध के बाद भी
युद्ध
जारी रहता है
जारी रहता है
शहीदों के घरों में
पीढ़ियों के बाद भी
पीढ़ियों के बाद भी
*सेमेट्री : कब्रिस्तान खासतौर पर ईसाईयों का