tag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post8530480407342756596..comments2023-04-29T06:09:16.546-07:00Comments on पलाश: रांची वार सेमेट्री*कुमार पलाशhttp://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-54019961600214191562011-02-26T10:18:20.028-08:002011-02-26T10:18:20.028-08:00बहुत अच्छी रचना.बहुत अच्छी रचना.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-55051575023660417292011-02-21T15:43:40.012-08:002011-02-21T15:43:40.012-08:00युद्ध के बाद भी युद्ध जारी रहता है ..
शहीदों के घर...युद्ध के बाद भी युद्ध जारी रहता है ..<br />शहीदों के घरों में ...<br />पीढ़ियों के बाद भी ...<br />बस एक बार तिरंगे में लपेटकर हम भूल जाते हैं इन्हें , इनके परिवारों को ...<br />सिर्फ सरकार ही नहीं , आम आदमी भी संवेदनाविहीन होता जा रहा है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-90507360413169402972011-02-21T02:47:49.300-08:002011-02-21T02:47:49.300-08:00"युद्ध के बाद भी
युद्ध
जारी रहता है
शहीदों ..."युद्ध के बाद भी <br />युद्ध<br />जारी रहता है <br />शहीदों के घरों में<br />पीढ़ियों के बाद भी"<br />प्रिय पलाश,<br />इस रचना के माध्यम से आपने उस उपनिवेशवादी प्रवृति को अपना केंद्र बनाया है जो आज भी इस देश के कण-कण में व्याप्त है. आपकी "चासनाला"और अन्य रचनाएँ भी इस मानसिकता को उजागर करती है. यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारा नेतृत्व भावनाशून्य होता जा रहा है . मानवीय सरोकारों के प्रति पूरी तरह से संवेदनहीन देश के नियंताओं से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है. चाहे कोई युद्ध में मरे या बड़ी दुर्घटना का शिकार हो या फिर बदहाली में किसान आत्महत्या कर ले क्या फर्क पड़ता है? हाँ, जिन्हें वो पीछे छोड़ जाते हैं उनके भीतर उठते तूफ़ान को देखने की फुर्सत किसे है? शायद उनके सिवा किसी को नहीं.<br />ख़ूबसूरत रचना.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-35893941963900917352011-02-18T11:21:56.025-08:002011-02-18T11:21:56.025-08:00पलाश रांची वार सिमिट्री तो मैं भी गया हूँ लेकिन जो...पलाश रांची वार सिमिट्री तो मैं भी गया हूँ लेकिन जो भाव आपने व्यक्त किये हैं कवीता के माध्यम से वह अदभुद है... युद्ध क्या देकर जाती है.. आपकी कविता से स्पस्ट है..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-72655051535297790452011-02-18T09:51:34.894-08:002011-02-18T09:51:34.894-08:00क्या कहूं पलाश जी?
क्योंकि
युद्ध के बाद भी
युद्ध
...क्या कहूं पलाश जी?<br />क्योंकि<br />युद्ध के बाद भी <br />युद्ध<br />जारी रहता है <br />शहीदों के घरों में<br />पीढ़ियों के बाद भी<br />बहुत सुन्दर और मार्मिक रचना.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-84595000674805920802011-02-18T02:09:35.848-08:002011-02-18T02:09:35.848-08:00युद्ध के बाद भी
युद्ध
जारी रहता है
शहीदों के घरो...युद्ध के बाद भी <br />युद्ध<br />जारी रहता है <br />शहीदों के घरों में<br />पीढ़ियों के बाद भी ...<br /><br />sach hai ...par kitna kaduva sach ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-90137596574754525292011-02-17T20:20:06.606-08:002011-02-17T20:20:06.606-08:00युद्ध के बाद भी
युद्ध
जारी रहता है
शहीदों के घरो...युद्ध के बाद भी <br />युद्ध<br />जारी रहता है <br />शहीदों के घरों में<br />पीढ़ियों के बाद भी<br /><br />sach me ham to jeet ki khushi ya haar ka matam manate hain...lekin wastvik dukh to wo jhelte hain..!<br /><br />bahut umda....bahut bahut badhai...!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-22670029953544796522011-02-17T19:18:24.232-08:002011-02-17T19:18:24.232-08:00क्योंकि
युद्ध के बाद भी
युद्ध
जारी रहता है
शहीदो...क्योंकि<br />युद्ध के बाद भी <br />युद्ध<br />जारी रहता है <br />शहीदों के घरों में<br />पीढ़ियों के बाद भी<br />इतिहास में<br />बरक़रार रहता है युद्ध<br />वर्तमान को उद्वेलित करता<br />युद्ध एक बार शुरू हुआ<br />तो ख़त्म नहीं होता ....<br />सुन्दर कविता .निर्मल गुप्त https://www.blogger.com/profile/14476315180256137151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-18306235406533898602011-02-17T19:02:53.188-08:002011-02-17T19:02:53.188-08:00वाह, यह स्थान तो देखा था, लेकिन ऐसी भावपूर्ण कवित...वाह, यह स्थान तो देखा था, लेकिन ऐसी भावपूर्ण कविता निकली है कि इस संदर्भ सहित फिर देखने की इच्छा होने लगी, (अरुण जी ने दिखाया रास्ता, इस पोस्ट का)Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-81787595699542157602011-02-17T09:19:28.996-08:002011-02-17T09:19:28.996-08:00antim panktiyon nen ek kadwe sach ko ujagar kiya h...antim panktiyon nen ek kadwe sach ko ujagar kiya hai... acchi kavita...स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2332737814332903999.post-64556807061056272872011-02-17T08:49:37.906-08:002011-02-17T08:49:37.906-08:00bahut hi badhiyaabahut hi badhiyaaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com