Wednesday, November 23, 2011

रंगभेद


(आई एम् ऍफ़ के भूतपूर्व अध्यक्ष स्ट्रास कह्न  और क्रिकेट पत्रकार पीटर रौबक के लिए )

मिट रहा है
रंगभेद 
दुनिया भर में 
एक ही रीत से 
कुछ लोग
कुछ देश 
विशेष रूप से 
प्रतिबद्ध हैं 
दिन भर के 
बड़े बड़े भाषणों 
और गहमागहमी की 
थकान के बाद 
शयनकक्ष की
बत्तियां बंद होने के बाद
मिट जाता है 
सब रंगभेद. 

तीसरी दुनिया में 
दिन होते हैं स्याह 
रातें होती हैं 
कुछ अधिक रंगीन 
रंगभेद मिटने की साक्षी के तौर पर 

7 comments:

  1. कडुवे सच को निराले अंदाज़ में कहा है ...

    ReplyDelete
  2. आपने सच्चाई को बड़े सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! बेहतरीन प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  3. सच्चाई को बयाँ करती अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. सच्चाई को बयाँ करती अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. दुःख है कि बिना पढ़े टिप्पणी करते हैं लोग. उनसे अच्छे वे हैं जो पढ़ते हैं लेकिन टिप्पणी नहीं करते....

    ReplyDelete
  6. बेजोड़ रचना...बधाई

    नीरज

    ReplyDelete