बेहतर होता
चटा दी होती नमक
जन्म होते ही
जब नहीं कर सकी ऐसा
तो मेरी शोणित से
जो रंगी है धरती
उस पर
लिख देना
अपनी थरथराती बूढी उँगलियों से
मेरा नाम
फिर से जन्म लेना चाहता हूँ
क्योंकि अधूरा रह गयी है
मेरी क्रांति
बस रोना मत
वरना फीका पड़ जायेगा
मेरे रक्त का रंग
Arvind Kumar
ReplyDeletebeautiful shraddhanjali...loved it...
बहुत मार्मिक प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील और मार्मिक चित्रण ...
ReplyDeleteकुछ व्याकरण अशुद्धियाँ हैं ..नमक , शोणित -- पुल्लिंग शब्द है .
क्रांति - स्त्रीलिंग शब्द है ..