Thursday, February 3, 2011

कैनेरी हिल्स

(झारखण्ड का हजारीबाग न केवल झारखण्ड बल्कि दक्षिण पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों के लिए अध्ययन का केंद्र है. यहाँ एक लवर्स प्वाइंट  है केनैरी हिल्स . यह हिल टाप यहाँ पढने आने वाले युवाओं के लिए पिकनिक स्पाट तो है लेकिन यहाँ तक पहुँचने वाले रास्ते के दोनों ओर प्राइवेट लाज़ हैं जहाँ अति साधारण दूर दराज गाँव से आये छात्र रहते हैं.. कोर्रा  चौक के आस पास ढेरों लाज़ हैं जहाँ से निकल हजारों छात्रों ने सफलता को चूमा है. कैनेरी हिल्स को समर्पित एक कविता . )

एक पगडण्डी
जो जाती है
कैनेरी हिल्स की तरफ
सैंट कोलंबस कालेज की ओर से
बीच में आते हैं
कई निजी छात्रावास
जिनके बिना खिड़की वाले कमरों से
आती है रासायनिक सूत्रों को रटने की आवाज़
सुबह होने से पहले और रात होने के बाद तक
जहाँ इन कमरों में सपने
हर क्षण पैदा होते हैं,
पलते हैं, बढ़ते हैं
छू लेते हैं आसमान
 कहीं ऊँचे उठ जाते हैं
कैनेरी हिल्स से

कैनेरी हिल्स को
यों  तो कहा जाता है
लवर्स प्वाइंट
जहाँ से एक ओर दिखता है
विश्वविद्यालय तो दूसरी ओर
कालेज़ का गुम्बद
ऐसे में पिघल जाता है
युवा प्रेम का भाव
बर्फ की तरह
सपने दृढ हो
उठ खड़े हो जाते हैं
हिमालय की तरह
बौना पड़ जाता है
कैनेरी हिल्स

कैनेरी हिल्स से
वापिस होते हुए
जब सूरज छिप रहा होता है
जागता है "कोर्रा चौक"
यहाँ चाय के स्टाल पर होती है
राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मसलो पर
इतनी जोरदार बहस 

कि संसद बौना हो जाए
होती है देश भर के
अखबारों के  सम्पादकीय पर
सुदीर्घ चर्चा हिंदी, अंग्रेजी,
संथाली, खोरठा में

कैनेरी हिल्स बुलाता है
लुभाता है लेकिन
इसकी ओर जाने वाले रास्ते
भटकने नहीं देते 

11 comments:

  1. कैनेरी हिल्स बुलाता है
    लुभाता है लेकिन
    इसकी ओर जाने वाले रास्ते
    भटकने नहीं देते ...

    आपने तो बिना जाए ही मिलवा दिया इन हिल्स से ....
    बहुत सजीव कविता है ...

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  2. पलाश भाई आपने मुझे न केवल मुंबई में बैठे बैठे केनेरी हिल्स के दर्शन करा दिए, बल्कि विद्यार्थी काल के दौरान की कई सारी बातों को भी याद करा दिया| हम लोग भी अपने जमाने के जबरदस्त तथाकथित विश्लेषक / चिंतक हुआ करते थे|
    बधाई मित्र एक जीवंत कविता पढ़वाने के लिए|

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  3. प्रिय पलाश,
    "कैनेरी हिल्स" और उसकी ओर जाती "पगडण्डी" एक प्रतीक सी लगती है. प्रतीक प्रगति का जो सड़क न होकर भी ऊपर की ओर अनवरत जाती है. इस पगडंडी के दोनों ओर पलते है ऊंचे-ऊंचे सपने.इसकी दृढ़ता छात्रों के मनोबल की दृढ़ता का परिचय बन गई है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का माद्दा रखते हैं..आपकी रचना ने मुझे अपने दिनों(१९८३-८५) की याद दिला दी.बिलकुल यही होता था नींबू की चाय की चुस्कियों और सिगरेट(शौकिया लत) के छल्लों के बीच शाम को विश्वविद्यालय से लौटते हुए. बिम्बों का संयोजन सटीक है और अर्थ को पारदर्शी बनाता है.छात्र जीवन को जीवंत करती रचना के लिए बधाई

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  4. पलाश जी! कैनेरी हिल्स तो महज एक सिम्बल है, यही दृश्य पटना के सैदपुर और रमना रोड ईलाके में और दिल्ली के मुनीरका और लक्ष्मीनगर ईलाके का है.. ये अलग बात है कि यहाँ से कैनेरी हिल्स नहीं दिखाई देती, लेकिन प्रतिभा यहाँ से भी उन्हीं शिखरों तक पहुँचती है!!

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  5. कैनेरी हिल्स बुलाता है
    लुभाता है लेकिन
    इसकी ओर जाने वाले रास्ते
    भटकने नहीं देते ...

    कैनेरी हिल्स की घर बैठे जानकारी वो भी कविता के ज़रिये.
    क्या बात है. वाह वाह.

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  6. अति सुन्दर कलाम! नव लेखन को प्रणाम एवं बधाई!
    कृपया बसंत पर एक दोहा पढ़िए......
    ==============================
    शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
    गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
    सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी

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  7. साधुवाद...
    जिन स्थान और विषयों को लोग कविता की भावभूमि नहीं बनाते ,उसे मान देने के लिए साधुवाद !!!

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  8. जिन स्थान और विषयों को लोग कविता की भावभूमि नहीं बनाते ,उसे मान देने के लिए,
    साधुवाद !

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  9. कैनेरी हिल्स बुलाता है
    लुभाता है लेकिन
    इसकी ओर जाने वाले रास्ते
    भटकने नहीं देते tabhi to ye dilo me basa hai....

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