(झारखण्ड राज्य का एक महत्वपूर्ण शहर है हजारीबाग जो कि अपने एतिहासिक सेन्ट्रल जेल, कोलंबस कालेज के लिए प्रसिद्द है. हजारीबाग के चारो तरफ भयंकर गरीबी पसरी है और फलस्वरूप नक्सलवाद भी. विष्णुगढ़ एक छोटा सा क़स्बा है हजारीबाग से कोई ५० किलोमीटर दूर. इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर एक नज़र कविता के माध्यम से )
पलाश की
विशाल छाया से ढकी
५० किलोमीटर की यह दूरी
जो है विष्णुगढ़ से हजारीबाग के बीच
वास्तव में उतनी ही दूरी है जितनी
तथाकथित लोकतंत्र में है
लोक और सत्ता के बीच
मनोरम दिखने वाली यह सड़क
अपने भीतर पाले है आग
लाल टुह टुह आग
राज्य मार्ग संख्या तो नहीं पता
लेकिन इतना पता है कि
इस ५० किलोमीटर के रास्ते से
गुजरती है कई बरसाती नदियाँ
और सैकड़ो गाँव जहाँ बाकी है
पहुंचना पानी, बिजली, दवा
हां, अंग्रेजी दारु की दुकानें
गाँव गाँव खुल गई हैं
जिनके नंबर पता है
आज हर युवा को.
आज हर युवा को.
कुछ बैंक की शाखाएं हैं
इस सड़क पर जो खुली थी
देने को किसानो को सस्ते दरों पर ऋण
उनके सीढीनुमा खेतों में उगाने को
धान, दलहन, सब्जियां
लेकिन जिनके तन को मिला नहीं कपडा
दीवारों को मिली नहीं छत
कहाँ से मिलती 'सिक्योरिटी'
सो बैंक बस नाम के रह गए
नामचीन लोगों के लिए
इस सड़क से कोई बीस किलोमीटर है
एक गाँव जहाँ से चलती है 'बुधिया '
मुंह अँधेरे लेकर तेंदू पत्ता
हजारीबाग के लिए हर रोज़
पहले देती है जंगल पुलिस को कुछ सिक्के
कई बार सिक्को के साथ मांगी जाती है देह भी
फिर धनबाद और बगोदर से आने वाली
खचाखच भरी बस के ऊपर
खचाखच भरी बस के ऊपर
चढ़ जाती है लादे तेंदू पत्ते की गठरी अपने सिर पर
दुकान दुकान फिरती है
देती है पत्ते ठेलों वालों को , चाय वालों को, जलेबी वालों को
और वापसी में लाती है 'हावड़ा बीडी',
चाँद तारा मार्का गुल धोने को मुंह
जेबकतरों से बचाने के लिए ब्लाउज में छुपा लेती है
अपनी छोटी कमाई
पता है उसे पत्तल के दिन लद रहे हैं
विस्थापित हो रहे हैं
प्लास्टिक के पत्तलों और दोनों से
प्लास्टिक के पत्तलों और दोनों से
फिर भी ठठा कर हँसते हुए लौटती है
उसी बगोदर या धनबाद वाली बस से
विष्णुगढ़ और हजारीबाग के बीच
कितनी ही बुधिया बेटी से माँ, माँ से दादी बनी
लेकिन बदली कहाँ दिनचर्या
हां हजारीबाग में जरुर
छोटी दुकाने बन गई हैं बड़ी
दुकाने जो बड़ी थी
अब डिपार्टमेंटल स्टोर बन गईं है
अब डिपार्टमेंटल स्टोर बन गईं है
थक कर बुधिया
जंगल पुलिस से,
थाने से,
बस कंडक्टर से ,
पत्तल खरीदने वाले दुकानदारों और साहूकारों से
थाम ली है लाल झंडा
विष्णुगढ़ और हजारीबाग के बीच
दहक रहा है पलाश
दहक रहा है पलाश