Tuesday, May 3, 2011

ओसामा मारा गया


लालगढ़ में भी
हो रहे हैं चुनाव
बुलेट और बैलेट के बीच
यो तो हो रही  है जंग
लेकिन यह बैलेट भी दिया जा रहा है
बुलेट के बल पर ही
अभी बुलेट है
किसी और के हाथ

चुनाव तक
हमें कहा गया है
नहीं करनी है कोई क्रांति
भूमिगत हो जाना है
नहीं उठाने हैं
कोई जन मुद्दे
और इस बात के लिए
बिका हूँ मैं
कई कई बार
बैलेट को जीतना जो है

पिछली बार
वादा किया था
मुझे भी लाल झंडे से निकल कर
श्वेत धवल वस्त्र पहनने का
लेकिन कहाँ हो पाया सफल मैं
समझ नहीं पाया कि
कल तक मेरे साथ
गोली चलाने की ट्रेनिंग देने वाले मेरे मित्र ने 
राजधानी में कैसे बना ली है पैठ
बदल गया है उसका झंडा
उसके झंडे का रंग
उसका नारा

इस बीच
खबर आयी  है कि
ओसामा मारा गया
मैं भी
मार गिरा दिया जाऊंगा
बैलेट की जीत के बाद
और मेरे लाल गढ़ में
होता रहा है ऐसा पहले से भी 

14 comments:

  1. Bhai Palash,
    Kafi dino ke bad apne koi post dali hai.Padh kar achha laga.

    Saurabh.

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  2. पलाश जी
    बहुत दिनों बाद आपकी कोई कविता आयी हैं. इस कविता में लाल झंडे और ओसामा का विम्ब समन्वय मुझे तो अच्छा लगा.. . कविता बढ़िया बनी है.. निरंतरता बनाये रखिये...

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  3. ये एक विसियस सर्किल है। लाल-सफ़ेद-लाल ....ह्लाल...!

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  4. पलाश जी
    सार्थक और भावप्रवण रचना।

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  5. प्रिय पलाश,स्नेह.
    "ओसामा मारा गया" में आपने इंसानी मतलबपरस्ती और पाखंड का जो चित्रण किया है उससे एक बार फिर यही साबित हुआ है कि मोहरा बनकर जियो तो ठीक नहीं तो बलि का बकरा बना दिया जाएगा.दूसरा पक्ष भी अवसरवादी समाज के चेहरे से नकाब हटता है.ओसामा एक प्रतीक है,एक प्रतिबिम्ब है जिसके सहारे सत्ता और समाज के दोहरे चरित्र को बाहर लाया गया है.आज ऐसा समूचे विश्व में ही हो रहा है. हर जगह एक लालगढ़ को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर किया जा रहा है. पिछली रचनाओं में छिपी आग की आंच इस रचना में भी महसूसी जा सकती है. बहुत सुन्दर,बहुत मार्मिक. आपकी शैली में इसे पूरी वस्तुनिष्ठता प्राप्त होती है.

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  6. कल तक मेरे साथ
    गोली चलाने की ट्रेनिंग देने वाले मेरे मित्र ने
    राजधानी में कैसे बना ली है पैठ
    बदल गया है उसका झंडा
    उसके झंडे का रंग
    उसका नारा
    ......


    इसे राजनीति कहते हैं.

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  7. राजनीति की चाल पर मोहरों का यही अंजाम होता है !
    मार्मिक !

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  8. इस बीच
    खबर आयी है कि
    ओसामा मारा गया
    मैं भी
    मार गिरा दिया जाऊंगा
    बैलेट की जीत के बाद
    और मेरे लाल गढ़ में
    होता रहा है ऐसा पहले से भी

    very nice

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  9. बहुत खूब ... भारत में होने वाली सामाजिक क्रांतियाँ ऐसी ही होती हैं ...झंडे बदल जाते हैं स्वार्थ के तराजू पर ... बहुत प्रभावी रचना ...

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  10. गोली चलाने की ट्रेनिंग देने वाले मेरे मित्र ने
    राजधानी में कैसे बना ली है पैठ
    बदल गया है उसका झंडा
    उसके झंडे का रंग
    उसका नारा

    bahut sahi sandesh deti rachna,...

    kaash dahashat gard dharm aur marm ke sath yah sab bhi samajh paate .....

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