जब लेने गया था
अपने गाँव के लिए अनाज
दी गई मुझे
ए के ४७
कहा गया हथियार बिना
नहीं होगी कोई बात
जब भी बात की
बिजली पानी सडको की
मुझे थमाया गया
ग्रेनेड
समझाया गया
बिना विस्फोट नहीं सुनता कोई
रुदन का शोर
कहा खोल दो
मेरे गाँव में भी स्कूल
लगा दिया गया पहरा
पुलिस बल का
कहा गया सत्ता तक
पंहुचा दो 'मुझे'
रौशनी की किरणे पहुचेंगी
जंगल जंगल
और फिर
आया बुलावा
आओ, बैठो, बात करते हैं
और फिर बदलते हुए तेवर
कहा गया
जंगल को जीने का कोई हक़ नहीं
मुझे लौटने भी नहीं दिया गया
हे माँ !
जन्म देना
एक और बच्चे को
जो लड़े मेरे बाद
लेकर आये थोड़ी रोशनी
अपने गाँव
मिटने मत देना
मेरे शोणित की गंध को